नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने इस साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव तथा अगले साल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर निर्वाचन प्रक्रिया को दुरुस्त करने की कवायद शुरू कर दी है। चुनाव आयोग ने विधानसभा या लोकसभा के चुनाव में निर्वाचन प्रक्रिया पूरी होने तक ईवीएम (ईवीएम) और वीवीपेट (वीवीपेट) मशीनों के भंडारण केंद्रों की सुरक्षा में सिर्फ और सिर्फ सशस्त्र पुलिस बलों की तैनाती सुनिश्चित करने को कहा है।आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्चाचन अधिकारियों को जारी निर्देश में स्पष्ट किया है कि मशीनों के भंडारण केंद्र की सुरक्षा में कहीं भी निजी सुरक्षा एजेंसियों के गार्ड, यहां तक कि सिविल डिफेंस, गैरपुलिस सेवा के सुरक्षा कर्मियों और वॉलनटिअर आदि की तैनाती नहीं की जाए।आपको बता दें कि आयोग ने चुनाव से पहले मशीनों की प्रारंभिक चरण की जांच (एफएलसी) और सुरक्षा से जुड़े इंतजामों को लेकर पिछले साल 30 अगस्त को जारी विस्तृत दिशानिर्देशों में इस स्पष्टीकरण को शामिल करते हुए 29 अगस्त को यह आदेश जारी किया है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि पिछले आदेश में मशीनों के भंडारण केंद्र (वेयर हाउस) और स्ट्रांग रूम (जिस कमरे में मशीनें रखी गई हैं) में राज्य सशस्त्र पुलिस बल के जवानों की हर पल निगरानी सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। हालांकि ताजा आदेश में निजी सुरक्षा एजेंसियों के सुरक्षा गार्ड या सिविल डिफेंस आदि के गार्ड की तैनाती नहीं करने का स्पष्टीकरण जोड़ कर आयोग ने साफ कर दिया है कि इस काम में किसी भी परिस्थिति में सिर्फ सशस्त्र पुलिस बल के जवान ही तैनात होंगे। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी ईवीएम, वीवीपेट की सुरक्षा में सशस्त्र पुलिस बलों को ही तैनात किया जाता रहा है। इस बारे में किसी भी प्रकार के भ्रम की गुंजाइश नहीं रहे, इसके लिये ताजा निर्देश में यह स्पष्टीकरण जारी किया गया है।हालांकि इस आदेश में आयोग ने यह छूट जरूर दी है कि नियमित पुलिस बल के जवानों की तैनाती नहीं हो सकने जैसी अपवाद की स्थिति में होमगार्ड के जवानों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। आयोग ने सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को भंडार गृहों में वीवीपेट युक्त ईवीएम की 24 घंटे पुलिस सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए एफएलसी से लेकर चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक हर पल सीसीटीवी कैमरों से रिकॉर्डिंग करते हुए निगरानी करने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। पूरी प्रक्रिया में सशस्त्र पुलिस बल की कम से कम एक टुकड़ी की तैनाती की जानी चाहिए।
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